गौरव भगत को 70 के दशक में पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट विद्रोह के दौरान उनके दादा और उनके पिता को कोलकाता के बाहरी इलाके में अपनी सफल सिरेमिक फैक्ट्री को बंद करके उनके परिवार को कुछ सूटकेस और कपड़ों के साथ कोलकाता छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। आगे की परिस्थितियों ने गौरव को उन तरीकों के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया कि कैसे वे इस स्थिति से उबर सकते हैं और अपने परिवार को आत्मनिर्भर करने में मदद कर सकते हैं।

उन्होंने उस समय अपने पास मौजूद क्रेडिट कार्ड से 10,000 रुपये निकाल कर ‘कंसोर्टियम गिफ्ट्स’ नामक एक गिफ्ट देने वाली कंपनी शुरू की थी। हालांकि यह किसी भी तरह से अंतिम प्रयास नहीं था, बल्कि उद्यमिता तो 21 सालों से उनकी रगों में चल रही थी। Readmore